2. पद (भाषा की बात)

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 भाषा की बात





1. निम्नलिखित शब्दों से वाक्य बनाएँ-

मलिन - राम का मुख क्यों मलिन है ? रस - सूरदासजी वात्सल्य रस के अनन्य कवि हैं। भोजन - दूषित भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। रुचि - ज्योति की रुचि पढ़ाई में नहीं है । छवि - हमें अपनी छवि स्वच्छ रखनी चाहिए । दही - दही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है । माखन - बालक कृष्ण को यशोदा माता प्यार से माखनचोर कहती थीं।

2. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची दें-

धरनि - वसुधा, धरती, भू, पृथ्वी रवि - दिनकर, दिवाकर, प्रभाकर, भास्कर अंबुज - सरोज, पंकज, जलज, कमल, नीरज कमल - अरविन्द, पंकज, जलज, सरोज

3. निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखें-

धरनि - धरणी बिधु - विधु प्रकास - प्रकाश गो- गौ कँवल - कमल स्याम - श्याम बनराई - वनराज


4. निम्नलिखित के विपरीतार्थक शब्द लिखें-

मलिन- स्वच्छ नर- नारी संकुचित - विस्तृत धरणी - आकाश विधु - सूर्य


5. पठित पदों के आधार पर सूर की भाषिक विशेषताओं को लिखिए।

उत्तर- सूरदासजी ब्रजभाषा के प्रारंभिक कवियों में एक हैं तथापि उनकी कविता की भाषा इतनी विकसित, प्रौढ़ और समृद्ध है कि अपने वैभव और गांभीर्य से सबको चकित कर देते। वह काल ब्रजभाषा के उत्कर्ष का था। अवधी, मैथिली, ब्रज, खड़ी बोली, राजस्थानी आदि भाषाओं का साहित्यिक भाषा के रूप में मध्यकाल में विकास हुआ। ब्रजभाषा में अंतर्निहित लालित्य, माधुर्य तथा कोमलता के कारण इसे अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई। इसकी विशेषता के कारण कई सदियों (एक लम्बी अवधि) तक ब्रजभाषा हिन्दी क्षेत्र की प्रमुख काव्य भाषा रही। सूरदास के वाक्य के तीन प्रधान विषय हैं- विनयभक्ति, वात्सल्य और प्रेम गार उनके काव्यों में जीवन का व्यापक और बहुरूपी विस्तार नहीं है, किन्तु भावों की गहराई और तल्लीनता में व्यापकता और विस्तार पीछे छूट जाते हैं। वात्सल्य भाव की बहुलता से पाठक जीवन की नीरस और जटिल समस्याओं को भूलकर उनमें तन्मय और विभोर हो जाता है। उनके पदों में वात्सल्य, प्रेम, वेदना आदि का मिश्रित आनन्द और लालित्य का पारावार उमड़ता है।


6. विग्रह करते हुए समास बताएँ-

नंद-जसोदा - नंद और जसोदा - द्वंद समास

ब्रजराज - ब्रज के राजा - संबंध तत्पुरुष समास

खग रोर - खग का रोर - संबंध तत्पुरुष समास

अंबुजकरधारी - कर में अंबुज धारण करनेवाला अर्थात कृष्ण - बहुब्रीहि समास

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