भाषा की बात
1. पठित कविता के संदर्भ में प्रसाद की काव्यभाषा पर टिप्पणी लिखें।
जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं तथा उनके काव्य में प्रेम और सौंदर्य का चित्रण है। प्रस्तुत कविता में मानव जीवन में प्रेम और सौंदर्य का गुण भी इसमें मिलता है। नारी की गरिमा का वर्णन बड़ा ही सुंदर ढंग से किया गया है। कविता में रस, छंद, अलंकार आदि का प्रयोग हुआ है। इसमें रूपक अलंकार की प्रधानता है।
2. कविता से रूपक अलंकार के उदाहरण चुनें।
उत्तर- जहा गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाय वहाँ रूपक अलंकार होता है। यह आरोप कल्पित होता है। इसमें उपमेय और उपमान में अभिन्नता होने पर भी दोनों साथ-साथ रहते हैं। यथा- चिर-विषाद विलीन मन की, यहाँ चिर (उपमेय) पर , विषाद (उपमान) का आरोप है। उसी प्रकार निम्न पंक्तियों में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है। जहाँ मरु ज्वाला धधकती, इस झुलसते विश्व-वन की, चिर निराशा नीरधर से, मैं सजल जलजात रे मन।
3. निम्नलिखित शब्दों से विशेषण बनाएँ-
कुसुम, हृदय, व्यथा, बरसात, विश्व, दिन, रेखा
शब्द = विशेषण
कुसुम = कुसुमित
हृदय = हृदयी
व्यथा = व्यथित
बरसात = बरसाती
विश्व = वैश्विक
दिन = दैनिक
रेखा = रैखिक


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