1. कड़‍बक प्रश्न-उत्तर

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1. कवि ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से क्यों की है?

उत्तर- कवि 'मलिक मुहम्मद जायसी' ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से इसलिए किया है क्योंकि दर्पण स्वच्छ व निर्मल होता है, उसमें मनुष्य की वैसी ही प्रतिछाया दिखती है जैसा वह वास्तव में होता है। कवि स्वयं को दर्पण के समान स्वच्छ व निर्मल भावों से ओत-प्रोत मानते है। उनके हृदय में जरा सा भी कृत्रिमता नहीं है। उनके इन निर्मल भावों के कारण ही बड़े-बड़े रूपवान लोग उसके चरण पकड़कर लालसा के साथ उसके मुख की ओर निहारते हैं।



2. पहले कड़बक में कलंक, काँच और कंचन से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- कवि जायसी ने कलंक, काँच और कंचन आदि शब्दों का प्रयोग अपनी कविता में किया है। कवि नें इन शब्दों के माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का कार्य किया है। 

जिस प्रकार काले धब्बे के कारण चन्द्रमा कलंकित हो गया फिर भी अपनी प्रभा से जग को आलोकित करता है उसकी प्रभा के आगे चन्द्रमा का काला धब्बा ओझल हो जाता है, ठीक उसी प्रकार गुणी जन की कीर्त्तियों के सामने उनके एकाध-दोष लोगों की नजरों से ओझल हो जाते हैं। कंचन शब्द के प्रयोग करने के पीछे कवि की धारणा है कि जिस प्रकार शिव-त्रिशूल द्वारा नष्ट किये जाने पर सुमेरू-पर्वत सोने का हो गया ठीक उसी प्रकार सज्जनों की संगति से दुर्जन भी श्रेष्ठ मानव बन जाता है। संपर्क और संसर्ग में ही वह गुण निहित है लेकिन पात्रता भी अनिवार्य है।

काँच का अर्थ है- कच्ची धातु 

और 

कंचन का अर्थ है- सोना। 

जब तक घरिया में कच्ची धातु को तपाया नहीं जाता है तब तक वह शुद्ध सोने में नहीं बदलता हैं।



3. पहले कड़बक में व्यंजित जायसी के आत्मविश्वास का परिचय अपने शब्दों में दें।

उत्तर- पहले कड़बक में जायसी आत्मविश्वास से ओत-प्रोत दिखते है। कवि कहते है कि मैं एक आँख का हूँ फिर भी गुणवान हूँ। जो भी मेरे काव्य को सुनता है वह मोहित हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार चंद्रमा में दाग है फिर भी वह संसार को अपने प्रकाश से आलोकित करता है। चंद्रमा का काला धब्बा प्रकाश के आगे ओझल हो जाता है। अर्थात् मनुष्य के सद्गुणों के आगे एकाध-दोष भी लोगों के नजरों से ओझल हो ही जाते है। कवि अपने इसी आत्मविश्वास के कारण ही 'पद्मावत' जैसे मोहक काव्य की रचना हो सकी।



4. कवि ने किस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है? उनकी इस इच्छा का मर्म बताएँ।

उत्तर- कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी स्मृति के रक्षार्थ जो इच्छा प्रकट की है, उसका वर्णन अपनी कविताओं में किया है। कवि का कहना है कि मैनें जान-बूझकर संगीतमय काव्य की रचना की है ताकि इस प्रबंध के रूप में संसार में मेरी स्मृति बरकरार रहे। इस काव्य कृति में वर्णित प्रगाढ़ प्रेम सर्वथा नयनों की अश्रुधारा से सिंचित है यानी कठिन विरह प्रधान काव्य है।

दूसरे शब्दों में जायसी ने उस कारण का उल्लेख किया है जिससे प्रेरित होकर उन्होंन लौकिक कथा का आध्यात्मिक विरह और कठोर सूफी साधना के सिद्धांतों से परिपुष्ट किया है। इसका कारण उनकी लोकैषणा है। उनकी हार्दिक इच्छा है कि संसार में उनकी मृत्यु के बाद उनकी कीर्ति नष्ट न हो। अगर वह केवल लौकिक कथा-मात्र लिखते तो उससे उनकी कीर्ति चिरस्थाई नहीं होती। अपनी कीर्ति चिरस्थाई करने के लिए ही उन्होंन पद्मावती की लौकिक कथा को सूफी साधना का आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रतिष्ठित किया है। 



5. भाव स्पष्ट करें:-

"जौं लहि अंबहि डाभ न होई। तौ लहि सुगंध बसाई न सोई।।"

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ कड़बक (1) से उद्धृत की गई है। इस कविता के रचयिता मलिक मुहम्मद जायसी हैं। इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने अपने विचारों को प्रकट करने का काम किया है। जिस प्रकार आम में नुकीली डाभे (कोयली) नहीं निकलती तब तक उसमें सुगंध नहीं आता यानि आम में सुगन्ध आने के लिए डाभयुक्त मंजरियों का निकलना जरूरी है। डाभ के कारण आम की खुसबू बढ़ जाती है, ठीक उसी प्रकार गुण के बल पर व्यक्ति समाज में आदर पाने का हकदार बन जाता है। उसकी गुणवक्ता उसके व्यक्तित्व में निखार ला देती है।



6. 'रकत कै लेई' का क्या अर्थ है?

उत्तर- कवि जायसी कहते हैं कि कवि मुहम्मद ने अर्थात मैंने यह काव्य रचकर सुनाया है। इस काव्य को जिसने भी सुना है उसी को प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ है। मैंने इस कथा को रक्त रूपी लेई के द्वारा जोड़ा है और इसकी गाढ़ी प्रीति को आंसुओं से भिगोया है। यही सोचकर मैंने इस ग्रन्थ का निर्माण किया है कि जगत में कदाचित मेरी यही निशानी शेष बची रह जायेगी।



7. 'मुहम्मद यहि कबि जोरि सुनावा।' -यहाँ कवि ने 'जोरि' शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है?

उत्तर- 'मुहम्मद यहि कबि जोरि सुनावा' में 'जोरि' शब्द का प्रयोग कवि ने 'रचकर' के अर्थ में किया है अर्थात मैंने यह काव्य रचकर सुनाया है। कवि यह कहकर इस तथ्य को उजागर करना चाहता है कि मैंने रत्नसेन, पद्मावती आदि जिन पात्रों को लेकर अपने ग्रन्थ की रचना की है, उनका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं था, अपितु उनकी कहानी मात्र प्रचलित रही है।



8. दूसरे कड़बक का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट करें।

उत्तर- दूसरे कड़बक में कवि ने इस तथ्य को उजागर किया है कि उसने रत्नसेन, पद्मावती आदि जिन पात्रों को लेकर अपने ग्रन्थ की रचना की है उनका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं था, अपितु उनकी कहानी मात्र प्रचलित रही है। परन्तु इस काव्य को जिसने भी सुना है उसी को प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ है। कवि ने इस कथा को रक्त-रूपी लेई के द्वारा जोड़ा है और इसकी गाढ़ी प्रीति को आंसुओं से भिगोया है। कवि ने इस काव्य की रचना इसलिए की क्योंकि जगत में उसकी यही निशानी शेष बची रह जाएगी। कवि यह चाहता है कि इस कथा को पढ़कर उसे भी दो शब्दों में याद कर लिया जाए। 



9. व्याख्या करें-

"धनि सो पुरुख जस कीरति जासू।फूल मरै पै मरै न बासू।।"

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ जायसी लिखित कड़बक के द्वितीय भाग से उद्धत की गयी है। उपरोक्त पंक्तियों में कवि का कहना है कि जिस प्रकार पुष्प अपने नश्वर शरीर का त्याग कर देता है किंतु उसकी सुगन्ध धरती पर व्याप्त रहती है, ठीक उसी प्रकार महान व्यक्ति भी इस धाम पर अवतरित होकर अपनी कीर्ति पताका सदा के लिए इस भवन में फहरा जाते हैं। पुष्प सुगन्ध सदृश्य यशस्वी लोगों की भी कीर्तियाँ विनष्ट नहीं होती। बल्कि युग-युगान्तर उनकी लोक हितकारी भावनाएँ जन-जन के कंठ में विराजमान रहती है।


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